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पशुओं में फैलने वाले विभिन्न बीमारी से बचने के लिए जिला प्रशासन ने सलाह दी

अरवल जिला प्रशासन द्वारा जनहित में प्रेस विज्ञप्ति जारी करके कहा है कि लपी बीमारी पशुओं में फैलने वाली एक संक्रामक विषाणु जनित बीमारी है यह बीमारी मुख्य रूप से गायों एवं भैंसों में पाई जा रही है। वर्तमान में यह दुधारू पशुओं में बहुत ही तीव्र गति से राज्य एवं जिले में फल रहा है। इस रोग का संचरण पशुओं में मक्खी मच्छर एवं कीटों के काटने से होता है।

 

इस बीमारी से संक्रमित पशुओं में कुछ इस प्रकार के लक्षण देखे जा सकते है- पशुओं को हल्का बुखार पुरे शरीर में जगह-जगह पर गाँठ उभर आना, खाना-पीना कम कर देना इत्यादि अगर पशु इस बीमारी से संक्रमित हो गया है तो अन्य पशुओं में भी इस तरह के बीमारी न फैले इसके लिए आम लोगों से अपील की जाती है कि वे तत्काल ही निकटतम पशु चिकित्साधिकारी को सूचित करें। प्रभावित पशुओं को अन्य पशुओं से अलग रखें एवं उस पशु का आवागमन भी प्रतिबंधित रखें।

 

इस बीमारी के प्रकोप में आने से पशुओं को बचाने के लिए पशुपालन विभाग द्वारा सप्ताह में दो दिन रोस्टर के अनुसार जिले के प्रत्येक प्रखण्ड में बचाव एवं रोकथाम शिविर का आयोजन किया जा रहा है। पशुओं में लंपी बीमारी के रोकथाम एवं बचाव हेतु पशुपालन विभाग द्वारा सलाह भी जारी की गई है. जैसे- ग्रसित पशुओं को स्वस्थ्य पशुओं से अलग रखें, मक्खी मच्छर, कीट के काटने से पशुओं को बचाने की दिशा में काम करें, पशुशाला की साफ-सफाई दैनिक रूप से करें, कीटनाशक दवाओं का पशुशाला में नियमित रूप से छिड़काव करें, पशुओं की साफ-सफाई भी नियमित रूप से करें एवं पशुओं को संतुलित आहार तथा हरा चारा खिलायें अगर इस बीमारी से किसी पशु की मौत हो जाती है तो मृत पशुओं के शव को गहरे गड्ढे में दबा दें।

 

जिले में इस बीमारी के रोकथाम एवं इलाज के लिए जो पशु केन्द्र कार्यरत है. उनकी विवरणी इस प्रकार है- अरवल प्रखण्ड में गाँधी मैदान के पास एवं रामपुर चौरम में कलेर प्रखण्ड में चन्दा, मेहन्दिया तथा उसरी, करपी प्रखण्ड में शहरतेलपा तथा किजर, कुर्था प्रखण्ड में ब्लॉक के पास एवं वंशी प्रखण्ड में थाना के पास अवस्थित है। इस बीमारी से ग्रसित पशुओं का आवागमन प्रतिबंधित है ग्रसित पशुओं के इलाज के लिए निकटतम पशु चिकित्सा पदाधिकारी को सूचित करें।

Rajnish Ranjan
Author: Rajnish Ranjan

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