- पोषण अभियान द्वारा कुपोषण मिटाने के लिए समुदाय को किया जायेगा जागरूक – सीडीपीओ
- विभिन्न गतिविधियों के आयोजन द्वारा फैलाई जाएगी जागरूकता
गडहनी (भोजपुर)। राष्ट्रीय पोषण पखवाडा में कुपोषण को जड़ से खत्म करने के लिए मंगलवार को प्रखण्ड मुख्यालय स्थित बाल विकास परियोजना कार्यालय परिसर में पोषण परामर्श केंद्र सह पोषण मेला का उद्घाटन चिकित्सा प्रभारी अभिषेक कुमार एवं परियोजना पदाधिकारी आभा कुमारी द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। साथ ही उद्देश्य पूर्ति हेतु सभी विभाग से समन्वय स्थापित कर प्रखण्ड कार्य अभिषरण की बैठक आयोजित की गई।
इस अवसर पर परियोजना पदाधिकारी ने कहा कि कुपोषण भारत के लिए एक बड़ी समस्या है। 1 से 30 सितम्बर तक चलने वाले इस अभियान के तहत जिले में कुपोषण को मिटाने के लिए लोगों को जागरूक किया जाएगा तथा उनके खाने-पीने की आदतों में बदलाव लाकर पोष्टिक अनाज का उपयोग करने पर जोर दिया जाएगा। सीडीपीओ ने बताया कि पोषण पखवाडा के तहत प्रखण्ड के सभी पंचायतों में टीम के द्वारा सर्वे भी कराया जा रहा है जिससे कुपोषित बच्चों की जानकारी मिल सके और उस पर जल्द से जल्द काबू पाया जा सके। इस दौरान पीएमएमभीवाई के तीनो किस्त अर्थात 5000 रूपया डीबीटी के माध्यम से प्राप्त करने वाले लाभुकों को कीट उपलब्ध कराई गई।
गर्भवती व धात्री महिलाओं को पोषण युक्त भोजन लेना है जरूरी
चिकित्सा प्रभारी पदाधिकारी डाॅक्टर अभिषेक कुमार ने बताया कि पोषण अभियान के तहत पोषण परामर्श केंद्र की स्थापना की गई हैं जिसमें गर्भवती व धात्री महिलाओं का काउंसेलिंग के माध्यम से यह जानकारी दी जाएगी कि खानपान में क्या जरूरी हैं और पौष्टिक आहार कब व कितनी मात्रा में लेनी चाहिए, महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान पौष्टिक भोजन लेना बहुत ही जरूरी होता हैं, क्योंकि गर्भ में पल रहे बच्चों का अच्छे तरह से विकास होता है। उन्होंने बताया, संतुलित पोषक भोजन खानपान कराने वाली महिलाओं को संतुलित और पोषक भोजन का सेवन करना चाहिए, जिसमें साबूत अनाज, दाल, फल, मांस, मछली, हरी पत्तेदार साग-सब्जियां, दूध और दूध उत्पाद, संतुलित मात्रा में लेनी चाहिए. प्रसव के बाद माताओं में एनीमिया होने की शिकायत होने की संभावना अधिक होती हैं, इसीलिए 180 आयरन की गोली का सेवन करना चाहिए। साथ ही बताया स्तनपान कराने वाली महिलाओं को प्रतिदिन 500 से लेकर 550 अतिरिक्त कैलोरी का सेवन करना चाहिए, ताकि मां और बच्चें दोनों की पोशक आवश्यकता पूरी हो सकें।
शिशुओं के विकास के लिए 6 माह के बाद पूरक आहार है जरूरी
बाल विकास परियोजना पदाधिकारी आभा कुमारी ने बताया नवजात शिशुओं को छः महीने तक सिर्फ़ मां का दूध ही देना चाहिए इसके अलावे एक बूंद पानी भी नही देना होता हैं। 2 साल तक स्तनपान के साथ पूरक आहार करना चाहिए। उन्होंने बताया, गर्भावस्था व जन्म के बाद के शुरुआती वर्ष में मस्तिष्क और अन्य महत्वपूर्ण अंगों के विकास के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं। नवजात बच्चों के संपूर्ण विकास को सुनिश्चित करने के लिए विटामिन, मिनरल्स, कैल्शियम, आयरन, वसा और कार्बोहाइड्रेट जैसे पोषक तत्वों से भरपूर संतुलित आहार देना बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस अवसर पर कार्य अभिशरण योजना की बैठक के साथ वृक्षारोपण भी किया गया।
गोद भराई एवं अन्नप्राशन कि रस्म अदा की गई
पोषण पखवाडा के शुभारंभ पर कार्यक्रम स्थल पर ही शान्तिनगर धमनिया निवासी आशा देवी पति राधेश्याम शर्मा की गोद भराई की गई। साथ ही पोषण हेतु टीबी जागरूकता हेतु चौपाल और ईसीसीई गतिविधि पर सेविकाओं को निर्देशित किया गया।
इस अवसर पर आईसीडीएस डाटा ऑपरेटर अभय श्रीवास्तव, महिला प्रवेक्षिका शकुन्तला कुमारी और ललिता कुमारी, प्रखण्ड समन्वयक मीरा कुमारी, सुरेश सिंह, निराला यादव, राजू वारसी, सीमा तिवारी, कलावती देवी, जुही, आशा सिन्हा संतोष प्रसाद, आँगनबाड़ी सेविका सहायिका, एनएम सहित अन्य लोग मौजूद रहे।