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कवच प्रणाली से जुड़ेगा डीडीयू-गया-प्रधान खांटा रेल सेक्शन

पूर्व मध्य रेल की ओर से मिशन रफ्तार के तहत कवच प्रणाली पर काम शुरू कर दी गई है। 208 करोड़ रुपए की लागत से डीडीयू-गया- प्रधानखांटा तक ट्रेनों के संचलन में संरक्षा को बढ़ावा देने व क्षमता में वृद्धि के लिए स्वदेशी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली ‘‘कवच‘‘ लाया जा रहा है। चार चरणों में पूरी होने वाली इस परियोजना के प्रथम चरण मे सोननगर से गया का कार्य प्रारंभ होगा। इस पूरी परियोजना को वर्ष 2024 के अंत तक पूरा कर लेने का लक्ष्य है।

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कवच प्रणाली से जुड़ेगा डीडीयू-गया-प्रधानखांटा रेल सेक्शन

पूर्व मध्य रेल की ओर से मिशन रफ्तार के तहत कवच प्रणाली पर काम शुरू कर दी गई है। 208 करोड़ रुपए की लागत से डीडीयू-गया- प्रधानखांटा तक ट्रेनों के संचलन…

कवच प्रणाली से जुड़ेगा डीडीयू-गया-प्रधानखांटा रेल सेक्शन
Newswrapहिन्दुस्तान टीम,गयाSat, 03 Sep 2022 07:00 PM
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पूर्व मध्य रेल की ओर से मिशन रफ्तार के तहत कवच प्रणाली पर काम शुरू कर दी गई है। 208 करोड़ रुपए की लागत से डीडीयू-गया- प्रधानखांटा तक ट्रेनों के संचलन में संरक्षा को बढ़ावा देने व क्षमता में वृद्धि के लिए स्वदेशी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली ‘‘कवच‘‘ लाया जा रहा है। चार चरणों में पूरी होने वाली इस परियोजना के प्रथम चरण मे सोननगर से गया का कार्य प्रारंभ होगा। इस पूरी परियोजना को वर्ष 2024 के अंत तक पूरा कर लेने का लक्ष्य है।

लगभग 417 किलोमीटर लंबे डीडीयू- गया-मानपुर-प्रधानखांटा रेलखंड भारतीय रेल के दिल्ली-हावड़ा रेलखंड के व्यस्तम मार्ग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह रेलखंड उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड राज्य से होकर गुजरता है। इस रेलखंड पर 08 जंक्शन स्टेशन सहित कुल 77 स्टेशन, 79 लेवल क्रॉसिंग गेट और 07 इंटरमीडिएट ब्लॉक सिग्नल हैं । इस रेलखंड पर सभी प्रकार के मिश्रित यातायात यथा माल ढुलाई, मेल-एक्सप्रेस, पैसेंजर ट्रेनों का परिचालन किया जाता है । वर्तमान में इस रेलखंड पर 100 से 130 किमी प्रति घंटा की गति स्वीकृत है तथा मिशन रफ्तार के तहत इसे बढ़ाकर 160 किमी प्रति घंटा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस संबंध में रेलवे ट्रैक के सुदृढ़ीकरण का कार्य भी तीव्रगति से जारी है। ‘कवच‘ एक टक्कर रोधी तकनीक है। यह प्रौद्योगिकी रेलवे को शून्य दुर्घटनाओं के अपने लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेगी। यह प्रौद्योगिकी माइक्रो प्रोसेसर, ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम और रेडियो संचार के माध्यमों से जुड़ा रहता है । यह तकनीक एक निश्चित दूरी के भीतर उसी ट्रैक पर दूसरी ट्रेन का पता लगाती है तो ट्रेन के इंजन में लगे उपकरण के माध्यम से निरंतर सचेत करते हुए स्वचालित ब्रेक लगाने में सक्षम है।

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Author: Bakwas News

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