बिक्रमगंज के तेंदुनी गांव की बेटी अंजलि प्रिया ने सेना में अफसर बनकर क्षेत्र का नाम रोशन किया है. ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (ओटीए) गया में आयोजित 26 वीं पासिंग आउट परेड के बाद उन्हें लेफ्टिनेंट पद पर कमीशन मिला. अंजलि के सेना में शामिल होने की खबर से गांव में जश्न का माहौल रहा. जब वह घर पहुंचीं, तो परिजनों और ग्रामीणों ने उनका भव्य स्वागत किया.अंजलि के पिता संतोष कुमार भारतीय वायुसेना में जूनियर वारंट ऑफिसर हैं, जबकि माता सीमा सिंह गृहिणी हैं. तीन बहनों में सबसे बड़ी अंजलि बचपन से ही आत्मनिर्भर और मेहनती रही हैं.उन्होंने माधव इंजीनियरिंग कॉलेज, ग्वालियर से कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया और फिर एक बड़ी कंपनी में वर्क फ्रॉम होम जॉब कर रही थीं.इसी दौरान उन्होंने सेना में जाने का सपना देखा और एसएसबी परीक्षा पास कर लिया.जब अंजलि पासिंग आउट परेड में शामिल हुईं, तो उनके पिता संतोष कुमार ने उन्हें गर्व के साथ सैल्यूट किया.जवाब में अंजलि ने भी पिता को सैल्यूट किया और फिर उनके चरणों में झुककर आशीर्वाद लिया. यह दृश्य देखकर वहां मौजूद सभी लोग तालियां बजाने लगे.अंजलि ने बताया कि ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है और पहली पोस्टिंग भी मिल गई है. उन्हें होली से पहले योगदान देना होगा, इसलिए इस बार त्योहार पर गांव नहीं रुक पाएंगी, लेकिन अगली बार जरूर आएंगी.
अंजलि प्रिया ने दिखाया बेटियां किसी से कम नहीं
कभी तीन-तीन बेटियों के जन्म पर समाज में “बेचारी” समझी जाने वाली सीमा सिंह आज अपनी बेटी की इस उपलब्धि पर गर्व से सिर ऊंचा किए खड़ी हैं.जो पड़ोसी कभी सहानुभूति जताते थे, आज वही उनकी बेटी की सफलता पर तालियां बजा रहे हैं. सीमा सिंह कहती हैं, “जो लोग बेटियों को बोझ समझते हैं, उन्हें अब समझ जाना चाहिए कि सही अवसर मिलने पर बेटियां भी ऊंची उड़ान भर सकती हैं.उन्होंने बताया कि उनकी दूसरी बेटी भी एयरफोर्स में जाने की तैयारी कर रही है, जबकि सबसे छोटी अभी 12वीं की परीक्षा दे रही है.अंजलि ने भी इस सोच को आगे बढ़ाते हुए कहा कि ट्रेनिंग के दौरान लड़के-लड़कियों में कोई भेदभाव नहीं किया जाता. जितना भार लड़कों को उठाना होता है, उतना ही लड़कियों को भी उठाना पड़ता है. जितनी दूरी लड़कों को दौड़नी होती है, उतनी ही दूरी लड़कियों को भी तय करनी पड़ती है.सेना में जेंडर का कोई भेदभाव नहीं होता. हर व्यक्ति को समान रूप से मेहनत करनी पड़ती है और अपनी काबिलियत साबित करनी होती है.अंजलि ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और खुद की मेहनत को दिया. उन्होंने कहा कि अगर बेटियों को सही अवसर मिले, तो वे किसी भी क्षेत्र में बेटों से पीछे नहीं रहेंगी.उनका सपना है कि आने वाले समय में और भी लड़कियां सेना में जाएं और देश की सेवा करें.अंजलि के सेना में अफसर बनने से पूरे गांव में खुशी की लहर है.ग्रामीणों ने इसे बेटियों की सफलता का प्रतीक मानते हुए कहा कि आज बेटियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं और समाज की सोच बदल रही हैं.