कलेर(अरवल)। अरवल जिले के ऐतिहासिक महर्षि चमनऋषि के जन्म स्थली मधुश्रवां स्थित शिव मंदिर में महाशिवरात्रि को लेकर सारी तैयारियां कर लि गई हैं। मंदिर महंथ एवं समाजसेवी के द्वारा इस बार तैयारी की गई है| मंदिर के महंथ की ओर से मंदिर की पेंटिंग, साफ सफाई किया गयाहै। मंदिर परिसर के चारों तरफ लाइट लगाया गया है| मधुश्रवां मंदिर के महंथ अखिलेश्वर भारती की ओर से व्यापक व्यवस्था किया जा रहा है | स्थानीय प्रशासन से भी सहयोग करने के लिए आवेदन दिया गया है |वहीं महाशिवरात्रि को लेकर समाजसेवी विक्रम सिंह के द्वारा मंदिर परिसर के आगे एक भव्य तरीके से गेट बनावाया गया है, शोभा यात्रा , मंदिर परिसर में सिंगर के अलावे अनेकों प्रकार की व्यवस्था किया गया है |
मंदिर के पुजारी पिंकू उर्फ अरुण ओझा ने बताया कि शिव पुराण के अनुसार इस दिन ही भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था यह एक तरह से शिव और शक्ति का मिलन का प्रतीक है भगवान शिव इस तिथि को बैरागी छोड़कर माता पार्वती के साथ गृहस्थ आश्रम रूप में मानव कल्याण के लिए आए थे। यह तिथि पल्ल्गुन मास के कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी दिन था इसलिए इसी दिन महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। महाशिवरात्रि का शाब्दिक अर्थ शिव की रात्रि माना जाता है। शिव का अर्थ कल्याण होता है इसलिए, इसे कल्याण की रात्रि भी कहा जाता है। इधर स्थानीय पंडित अंकुश गिरी ने बताया कि महाशिवरात्रि साल की एक दिन फागुन माहीने में ही आता है। इस दिन व्रत रखने का विशेष शुभ महत्त्व है। शिव महाशिवरात्रि व्रत रखने से हमें कई पापों से मुक्ति मिलती है। उन्होंने बताया कि भगवान शिव पर जल,दुध , बेलपत्र, धतूरा भांग, कमलगट्टा, रोड़ी ,सेदूर फूल समेत अनेकों प्रकार की पूजा की सामग्री चढ़ाने से लोगों को सारी मनोकामना पूरी होती है|