बलिया। ऐतिहासिक ददरी मेला में दूसरे रविवार को भारी भीड़ रही। इसके चलते मेला पूर तरह से हाउसफुल रहा। बिक्री बढ़ने से दुकानदार भी मालामाल हुए। परिवार संग पहुंचे लोगों ने मेले जमकर खरीदारी की तथा लजीज व्यंजनों का लुत्फ उठाया।
छुट्टी का दिन होने के कारण सुबह से ही ग्रामीण इलाकों से लोगों के मेला पहुंचने का दौर शुरु हो गया। बस, ट्रेन, चार पहिया व दो पहिया वाहनों के साथ ही ई-रिक्शा आदि से लोग मेला में पहुंचने लगे थे। वैसे तो अमूमन मेले की दुकानें दिन के दस बजे के बाद से ही खुलती हैं, लेकिन रविवार का दिन होने से दुकानदारों ने भी पहले से ही तैयारी कर रखी थी तथा दुकानें सुबह नौ बजे तक खुल गयी थी। दोपहर तक पूरा मेला परिसर ठसाठस भर चुका था। हर तरफ हंसते-मुस्कराते चेहरे तथा लोगों का झुंड नजर आ रहा था। आलम यह था कि चर्खी-झूला पर चढ़ने के लिए लोगों को इंतजार करना पड़ा। चाट-छोला, जलेबी के साथ ही खाने-पीने की दुकानों पर लोगों की भीड़ रही। मेले में उमड़ी भीड़ से दुकानदारों की खूब चांदी रही। महिलाएं श्रृंगार व घरेलू सामानों के साथ ही गर्म कपड़ों की दुकानों पर लोगों ने शाल, कंबल, चादर आदि खरीदा। मेल में उमड़ने वाली भीड़ को देखते हुए दुकानदार भी सामानों की खेप मंगा लिए थे। झूला, चर्खी, ड्रैगन ट्रेन का लुत्फ लेने के लिए लोगों को कतार में खड़ा होकर टिकट लेना पड़ा। भीड़ को देखते हुए मेला के मीना बाजार थाने पर तैनात पुलिस के जवान भी अलर्ट थे। उन्होंने शोहदों व उच्चकों की खातिरदारी की तथा मेला में अपनों से बिछड़ चुके बच्चों को घरवालों से मिलवाया।
गुड़ही जलेबी व खजला पर लोगों का जोर
ददरी मेला में यूं तो उत्तर व दक्षिण भारतीय के साथ ही चाईनीज व्यंजनों की भरमार है। हालांकि इस बदलते दौर में भी गुड़ही जलेबी व खजला लोगों की पहली पसंद बनी हुई है। मेला में भेल पूरी, ईडली-डोसा, चाउमीन, बर्गर, मोमोज, ्प्रिरींग रोल, एग रोल, चाट-छोला, छोला-भटूरा, आईसक्रीम आदि की बिक्री हो रही है। इन सबके बीच मेला घुमने आने वाले लोग गुड़ही जलेबी का स्वाद लेना नहीं भुल रहे हैं। इसी प्रकार केवल ददरी मेला में ही मिलने वाले खजला को खाने के साथ ही लोग पैक कराकर घर ले जा रहे हैं।